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Auditing
Management Audit meaning Notes
Management Audit meaning Notes प्रबन्ध अंकेक्षण का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Management Audit) प्रबन्ध अंकेक्षण एक नवीन विचारधारा है। यह परम्परागत अंकेक्षण से भिन्न है। प्रबन्ध अंकेक्षण के अन्तर्गत किसी व्यावसायिक उपक्रम की प्रबन्ध सम्बन्धी विभिन्न क्रियाओं व तकनीकों की सफलता का मूल्यांकन किया जाता है। दूसरे शब्दों में, प्रबन्ध द्वारा निर्मित योजनाओं, नीतियों, कार्यक्रमों व कार्यविधियों का अंकेक्षण ही 'प्रबन्ध अंकेक्षण' कहलाता है। इसके अन्तर्गत संस्था के उद्देश्य, लक्ष्यों, संगठनात्मक कलेवर एवं प्रबन्ध सम्बन्धी नीतियों एवं उनके निष्कर्षों का अंकेक्षण किया जाता है। जिस प्रकार प्रबन्ध द्वारा प्रयोग किये जाने वाले लेखांकन को 'प्रबन्धकीय लेखांकन' कहा जाता है, उसी प्रकार प्रबन्ध के दृष्किोण से किये गये अंकेक्षण को 'प्रबन्ध अंकेक्षण' कह सकते हैं। प्रबन्ध अंकेक्षण प्रबन्धकीय नियन्त्रण का
Cost Audit Meaning Notes
Cost Audit Meaning Notes लागत अंकेक्षण से आशय (Meaning of Cost Audit) लागत अंकेक्षण से आशय लागत लेखों की एक ऐसी जाँच से है जिसके अन्तर्गत लागत लेखों की प्रणाली की पूर्ण जाँच की जाती है जिससे कि इन लेखों की सत्यता का ज्ञान हो सके। इन्स्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउन्टेट्स इंग्लैण्ड के अनुसार, “लागत अंकेक्षण लागत लेखों के सही होने का सत्यापन और लागत लेखा योजना का अनुसरण है।" उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि लागत अंकेक्षण से आशय लागत लेखों का सत्यापन करने एवं लागत लेखे से सम्बन्धित योजना के क्रियान्वयन की जाँच करने से है। इसके अतिरिक्त इस अंकेक्षण के अन्तर्गत यह देखने का प्रयास किया जाता है कि संस्था ने लागत लेखे अपने कार्यकलाप के
Investigation Meaning in Hindi Notes
Investigation Meaning in Hindi Notes अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषा अनुसंधान से आशय किसी विशेष उद्देश्य से किसी संस्था के खातों की जाँच करने से है। इसका क्षेत्र काफी विस्तृत होता है। इसके अन्तर्गत केवल लाभ-हानि खातों तथा चिट्टे का सत्यापन ही नहीं बल्कि अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी आते हैं। अनुसन्धान कार्य काफी जटिल होता है, अतः अनुसन्धानकर्ता चतुर, बुद्धिमान, योग्य एवं पर्याप्त शिक्षित व्यक्ति होना चाहिये। विभिन्न विद्वानों ने अनुसंधान को निम्न प्रकार परिभाषित किया है टेलर एवं पेरी के अनुसार, “अनुसन्धान व्यवसाय अथवा संगठन की पुस्तकों एवं लेखों की जांच करने तथा उनकी तकनीकी, वित्तीय और आर्थिक स्थिति का ज्ञान करने से सम्बन्धित है।" स्पाइसर एवं पैगलर के अनुसार, “किसी विशेष उद्देश्य के लिये खातों एवं लेखों की, की गयी जाँच को अनुसन्धान
special audit meaning notes
Special Audit Meaning Notes विशेष अंकेक्षण बैंकिंग कम्पनी के खातों का अंकेक्षण भारत में बैंकिंग कम्पनियाँ बैंकिंग रैगुलेशन एक्ट, 1949 के अनुसार स्थापित की जाती हैं। इस संविधान के अनुसार ही एक बैंकिंग कम्पनी अपने खाते तैयार करती है। एक बैंकिंग कम्पनी की पुस्तकों का अंकेक्षण एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट के द्वारा किया जाना चाहिए । बैंकिंग कम्पनी का चिट्ठा तथा लाभ-हानि खाता इस अधिनियम की धारा 29 के अन्तर्गत तैयार किये जाते हैं। ये धारा 30 के अनुसार अंकेक्षकों के द्वारा तैयार किये जायेंगे। अंकेक्षक की नियुक्ति, उसके कर्त्तव्य, दायित्व एवं अधिकार कम्पनी अधिनियम, 1956 के अनुसार निर्धारित होते हैं . . बैंकिंग कम्पनी एक्ट, 1970 के लागू हो जाने के पश्चात् जिसके अन्तर्गत 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, अब बैंकिंग रैगुलेशन
Audit report meaning notes
Audit report meaning notes अंकेक्षण रिपोर्ट (Audit report) किसी भी संस्था के खातों का अंकेक्षण कार्य समाप्त करने के पश्चात् अंकेक्षक जाँच कार्य के परिणामों और अपने निष्कर्षों का सारांश रूप में एक विवरण देता है जिस पर उसके हस्ताक्षर होते हैं, इसी विवरण को अंकेक्षक का प्रतिवेदन या रिपोर्ट कहते हैं। इस प्रकार अंकेक्षण रिपोर्ट अंकेक्षण कार्य की अन्तिम उपलब्धि होती है। यह वह माध्यम है जिसके आधार पर अंकेक्षक वित्तीय खातों एवं विवरणों के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करता है। . . जोसेफे लंकास्टर के अनुसार, “एक रिपोर्ट एकत्रित एवं विचार किए हुए तथ्यों की एक ऐसी सूची है जो उन व्यक्तियों को स्पष्ट एवं संक्षिप्त सूचना देने के लिए बनाई जाती है, जिन्हें प्रतिवेदन की विषय सामग्री से सम्बन्धित
Divisible Profits and Dividends
विभाजन योग्य लाभ एवं लाभांश (Divisible Profits and Dividends) विभाजन योग्य लाभ का अर्थ (Meaning of Divisible Profit) विभाजन योग्य लाभ से तात्पर्य उस शुद्ध लाभ से होता है जो संचालकों की दृष्टि से, संचय कोष, ह्रास आदि की व्यवस्था करने के पश्चात् लाभांश के रूप में अंशधारियों में बाँटा जा सकता है। इस प्रकार कम्पनी के 'कुल लाभ', 'विभाजन लाभ' नहीं होते बल्कि केवल वही लाभ ‘विभाज्य लाभ' कहलाते हैं जो वैधानिक रूप से अंशधारियों के मध्य बाँटे जा सकते हैं। विभाजन योग्य लाभ की स्पष्ट परिभाषा देना तो कठिन कार्य है, परन्तु फिर भी कुछ मान्य न्यायाधीशों द्वारा इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है- (1) इन री ब्यूनस आयर्स ग्रेट सदर्न कम्पनी लिमिटेड (In re Buenous Aires Great Southern Company Ltd.)
Liabilities of An Auditor Notes
Liabilities of An Auditor अंकेक्षक के दायित्व एक सीमित दायित्व वाली कम्पनी के अंकेक्षक की स्थिति निजी संस्था (एकाकी व्यापार अथवा साझेदारी संस्था) के अंकेक्षक से भिन्न है । कम्पनी के अंकेक्षक की नियुक्ति, कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों के अधीन की जाती है इसलिए कम्पनी अधिनियम में उसके दायित्वों को भी स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है। अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से कम्पनी अंकेक्षक के दायित्व को हम निम्नलिखित वर्गों में विभक्त कर सकते हैं- (I) सामान्य दायित्व (Civil Liability) (क) लापरवाही के लिए दायित्व (Liability for Negligence) (ख) कर्त्तव्य-भंग के लिए दायित्व (Liability for Misfeasance) (II)सापराध कार्यों के लिए दायित्व (Criminal Liability) (III) अन्य पक्षों के प्रति दायित्व (Liability to Third Parties) . (I) सामान्य दायित्व (Civil Liability) अंकेक्षक के सामान्य दायित्व को पुनः दो भागों
Appointment,Remuneration, Rights and Duties of an Auditor
Appointment,Remuneration, Rights and Duties of an Auditor अंकेक्षक की नियुक्ति, पारिश्रमिक, अधिकार एवं कर्त्तव्य कम्पनी अंकेक्षक की नियुक्ति के सम्बन्ध में निम्नलिखित दो अधिनियम महत्वपूर्ण है। (I) कम्पनी अधिनियम, 1956 (संशोधित 1965) (II) चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स अधिनियम, 1949 (संशोधित 1959)। (I) कम्पनी अधिनियम, 1956 (संशोधित 1965) के अनुसार नियुक्ति (1) संचालक मण्डल द्वारा प्रथम अंकेक्षक की नियुक्ति कम्पनी के पंजीयन के एक माह के अन्दर कम्पनी के प्रथम अंकेक्षक की नियुक्ति कम्पनी के संचालक मण्डल द्वारा की जाती है । इस प्रकार नियुक्त किए गए अंकेक्षक प्रथम वार्षिक साधारण सभा के अन्तिम दिन तक अपने पद पर कार्य करते हैं। किन्तु यदि इस प्रकार से नियुक्ति अंकेक्षक का पद आकस्मिक रूप से रिक्त हो जाता है, तो संचालक मण्डल उसके स्थान पर किसी अन्य अंकेक्षक को
Company Audit Notes
Company Audit Notes कम्पनी अंकेक्षण अंकेक्षक को कम्पनी का अंकेक्षण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये- 1. नियुक्ति की वैधता की जाँच-अंकेक्षण कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व अंकेक्षक को इस बात की जाँच कर लेनी चाहिये कि उसकी नियुक्ति कम्पनी अधिनियम की धारा 224 या 225 के प्रावधानों के अनुसार की गयी है या नहीं। यदि उसकी नियुक्ति विधिवत् की गई है तो उसे अपनी नियुक्ति की सूचना नियुक्ति की तिथि से एक माह के अन्दर कम्पनी रजिस्ट्रार को लिखित रूप में दे देनी चाहिए। यदि अंकेक्षक की नियुक्ति किसी दूसरे अंकेक्षक के स्थान पर हुई है तो उसे अपनी नियुक्ति की सूचना पूर्व अंकेक्षक को भी देनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह व्यावसायिक दुराचरण